इंसान महान


 मै इंसान मै इंसान, हूॅ तुझसे बड़ा महान।
     अहम् की गद्दी पर, हर पल है वो बैठा।
नजरें गड़ाता पल पल दूसरों पर।
     छल न जाने पर कपट को समझे।।
 शब्द शब्द में न भेद को समझे।
     चापलूसी करे इमान समझ कर।।
अपने दोषों को है, वो छिपाता है।
     दूसरों की कमियों का पता लगाता है।।
समझाओ कि यह भूल है।
     मानता नहीं कि ये भूल है।।
अपने को श्रेष्ठ समझता।
     दूसरों की आलोचना करता।।
      जब वह कोई उपकार करता।
      उसे न किसी से छुपाता।।
      दूसरों ने जो उस पर किया उपकार।
     इस बखान पर न खुलती उसकी जुबान।।

 मै इंसान मै इंसान, हूॅ तुझसे बड़ा महान।

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