जहां एक तरफ
एशिया और यूरोप के कई देश RO पर प्रतिबंध लगा चुके हैं वहीं भारत में RO
की मांग लगातार बढ़ती जा रही है और कई विदेशी कंपनियों ने
यहां पर अपना बड़ा बाजार बना लिया ।वैज्ञानिकों के अनुसार मानव शरीर 500 टीडीएस तक
सहन करने की छमता रखता है परंतु RO में 18 से 25 टीडीएस तक पानी की शुद्धता होती है जो कि बहुत
ही हानिकारक है इसके विकल्प में थोड़ी मात्रा में क्लोरीन को रखा जा सकता है,
जिसमें लागत भी कम होती है एवं आवश्यक तत्व भी सुरक्षित
रहते हैं जिससे मानव शारीरिक विकास अवरूद्ध नहीं होता।
आपके घर पर जो
भी सर्विस इंजिनियर आते हैं , उनसे पूंछिये कि कितने टीडीएस का जल पीना चाहिए तो बोलेंगे
50 टीडीएस का । RO कहाँ लगाना चाहिए तो कहेंगे कि आप लगवाइये हम पड़ोस में
लगाकर गए हैं ।
विश्व
स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि इसके लगातार सेवन से हृदय संबंधी विकार,
थकान, कमजोरी, मांसपेशियों में ऐंठन, सिरदर्द आदि दुष्प्रभाव पाए गए हैं ,
यह कई शोधों के बाद पता चला है कि इसकी वजह से कैल्शियम,
मैग्नीशियम पानी से पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं जो कि
शारीरिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है.
ध्यान रहे कि
बारिश के पानी का टीडीएस केवल 10-50 मिग्रा/लीटर होता है। पानी के टीडीएस में
अचानक आया बदलाव संकेत देता है कि पानी उच्च टीडीएस वाले पानी से प्रदूषित हो रहा
है।
टीडीएस को
मिग्रा/लीटर या पीपीएम (पार्ट्स प्रति १० लाख) में मापा जाता है। मिग्रा/लीटर एक
लीटर पानी में घुले ठोस पदार्थ का भार होता है। दूसरी ओर पीपीएम १० लाख समान भार
वाले द्रव में घुले पदार्थ का भार होता है (जो मिलीग्राम प्रति किलोग्राम होता है)
टीडीएस में पीपीएम को जल सघनता से गुणा करने पर एमजी/लीटर में टीडीएस निकाली जाती
है। पीपीएम में टीडीएस के सही निर्धारण में पानी के तापमान का भी ख़्याल रखना
पड़ता है क्योंकि पानी में घुले पदार्थों की सघनता का तामपान से भी संबंध होता है।
टीडीएस क्या
है ?
टीडीएस का
मतलब कुल घुलित ठोस से है।
पानी में
मिट्टी में उपस्थित खनिज घुले रहते हैं। भूमिगत जल में ये छन जाते हैं। सतह के
पानी में खनिज उस मिट्टी में रहते हैं जिस पर पानी का प्रवाह होता है (नदी/धारा)
या जहां पानी ठहरा रहता है(झील/तालाब/जलाशय)। पानी में घुले खनिज को आम तौर पर कुल
घुलित ठोस, टीडीएस कहा जाता है। पानी में टीडीएस की मात्रा को मिलीग्राम/लीटर (एमजी/ली)
या प्रति मिलियन टुकड़े (पीपीएम) से मापा जा सकता है। ये इकाइयां एक समा हैं। खनिज
मूलतः कैल्शियम (सीए), मैग्नीशियम (एमजी) और सोडियम (एनए) के विभिन्न अवयव होते
हैं।
अब बात
बोतलबंद पानी की
वैश्विक स्तर
पर देखा जाए तो बोतलबंद पानी का कारोबार खरबों में पहुंच गया है। शुद्धता और
स्वच्छता के नाम पर बोतलों में भरकर बेचा जा रहा पानी भी सेहत के लिए खतरनाक है।
अमेरिका की एक संस्था है नेचुरल रिसोर्सेज डिफेंस काउंसिल। इस संस्था ने अपने
अध्ययन के आधार पर यह नतीजा निकाला है कि बोतलबंद पानी और साधारण पानी में कोई खास
फर्क नहीं है। मिनरल वाटर के नाम पर बेचे जाने वाले बोतलबंद पानी के बोतलों को
बनाने के दौरान एक खास रसायन पैथलेट्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसका इस्तेमाल
बोतलों को मुलायम बनाने के लिए किया जाता है। इस रसायन का प्रयोग सौंदर्य
प्रसाधनों, इत्र,
खिलौनों आदि के निर्माण में किया जाता है। इसकी वजह से
व्यक्ति की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ता है। बोतलबंद पानी के जरिए यह
रसायन लोगों के शरीर के अंदर पहुंच रहा है।
अध्ययनों में
यह भी बताया गया है कि चलती कार में बोतलबंद पानी नहीं पीना चाहिए। क्योंकि कार
में बोतल खोलने पर रासायनिक प्रतिक्रियाएं काफी तेजी से होती हैं और पानी अधिक
खतरनाक हो जाता है।
बोतल बनाने
में एंटीमनी नाम के रसायन का भी इस्तेमाल किया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि
बोतलबंद पानी जितना पुराना होता जाता है उसमें एंटीमनी की मात्रा उतनी ही बढ़ती
जाती है। अगर यह रसायन किसी व्यक्ति की शरीर में जाता है तो उसे जी मचलना,
उल्टी और डायरिया जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
इससे साफ है कि बोतलबंद पानी शुद्धता और स्वच्छता का दावा चाहे जितना करें लेकिन
वे भी लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकती हैं।
इस तरीके से
करे पानी को शुद्ध
पुराने जमाने
से चली आ रही यह तकनीक सफ़ेद सूती कपडा लीजिये (2-4 लेयर्स) जितना गन्दा पानी उसके
अनुसार उस पानी को इस कपडे से छानिये, इससे आपके पानी में मोटे कण व् गंदगी समाप्त होगी. अब उस
पानी को उबालिए अच्छे से (इससे उसके वायरस कीटाणु इत्यादि समाप्त हो जायेंगे) फिर
सामान्य तापमान पर ठंडा होने रख दीजिये. पानी तो वैसे शुद्ध हो चूका है और बिलकुल
उपयुक्त है अब पिने के लिए लेकिन आप चाहें तो इसे और अच्छा (मिनरल वाटर) बना सकते
हैं.
तुलसी के
पत्ते पानी में डालकर रखें. जहाँ भी तुलसी का पौधा होता है,
उसके आसपास का 600 फुट का क्षेत्र उससे प्रभावित होता है,
जिससे मलेरिया, प्लेग जैसे कीटाणु नष्ट हो जाते हैं. इस पानी को ताम्बे के
बर्तन में भरकर रखें. इस पानी को ट्रांसपेरेंट बर्तन में धुप में रखें जिससे पानी
में क्रिस्टल्स बनेंगे और पानी की गुणवत्ता बढ़ जाएगी.
पानी के बर्तन
में सूती कपडे में कोयला या भारतीय देसी गाय के गोबर की जली हुई राख को बांधकर
रखें. कार्बन सारा गंद अपने और खिंच लेगा. क्या आप जानते हो की जो water
purifier सिस्टम आपके
घर में लगा हुआ है उसमे भी यही कोयले की तकनीक इस्तेमाल की जाती है ?
कृपया अपनी कैंडल को तोड़कर देखिये और जानिये इस सत्य को..
अब अगर आपको शुद्ध पानी चाहिए और बिमारियों से बचना है तो यह कार्य अपने प्रतिदिन
के कार्य में जोडीये और स्वस्थ रहिये.
सोर्स - इंडिया वाटर पोर्टल
9 Comments
Best knowledge for all.
ReplyDeleteNice Post, this is very impressive blog.
ReplyDeleteAquafresh RO
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Aquafresh RO Systems
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Pine ke liye kitana TDS Pani akdam sudh mana jata hai..
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteSir Ghar ks TDS 365 h ky R.O ki jarut h....,
ReplyDeleteSir pine ke liye aap 100 TDs ka bhi paani pi sakte hai
ReplyDeletePar dekhna aapko hogaa ki aapko 100 tds ka panni suit kar raha ki nahi
Fake hai sab
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteजाने प्रतिदिन कितना पानी पीना चाहिए(do follow)
Hi great reading yoour blog
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