चंद बंूदें बदन पर टपक रहीं थी।
बारिश मेरे कितने करीब थी।।
बून्दों में झमझमाती हुई आवाज थी।।
बून्दों और आवाज में संगम हो रहा था।
संगम से यह एहसास हो रहा था।।
बारिश की एक बूंद खुशी दे रही थी।
बारिश की दूसरी बूंद हंसी दे रही थी।।
बारिश की तीसरी बूंद तंदुरूस्ती जगा रही थी।।
बारिश की चौथी बंूद कामयाबी का एहसास करवा रही थी।।
और बारिश की पांचवी बूंद....न बाबा रे बाबा।
कुछ ज्यादा ही भीग गया हूॅ।
आ...क्....छीं....ई......... सर्दी हो गई।
आ...क्....छीं....ई......... सर्दी हो गई।
3 Comments
और मौसम बदलने पर भी सर्दी ....
ReplyDeleteबढ़िया
ReplyDeleteवेलकम सर
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