नीले रंग के चावल की डिश "ब्लू राइस" सोशल मीडिया पर है काफी चर्चा

देश में इन दिनों नीले रंग की चावलों की एक डिश ब्लू राइस के नाम से खासी पसंद की जा रही है. देश में तरह-तरह से चावल पकाया जाता है. जैसे बंगाल (West Bengal) में मछली के साथ भात खाने का चलन है तो दक्षिण में सांबर और रसम के साथ चावल (Sambar Rice) लोकप्रिय है, लोग बड़े चाव से इसे खाते भी हैं. खीर और पायसम के तौर पर मीठे चावल भी शौक से खाये जाते हैं. लेकिन इन दिनों सोशल मीडिया पर ब्लू राइस की रेसिपी (Blue Rice Recipe) वायरल हो रही है और इसका क्रेज़ काफी है.सफेद से लेकर ब्राउन राइस तक देश के कुछ हिस्सों में लोकप्रिय हो चुका है. लेकिन यह ब्लू राइस क्या है? यह चावल की कोई किस्म नहीं बल्कि एक डिश है जो पहले से ही मलेशिया और थाईलैंड में काफी प्रचलित है. इन एशियाई देशा में इस डिश को नासी केराबू के नाम से जाना जाता है. अब यह नासी केराबू ब्लू राइस के नाम से भारतीयों के बीच अपनी जगह बना रहा है.

क्या है नासी केराबू? यह एक मलेशियाई डिश है जिसे नासी उलम का ही एक प्रकार माना जाता है. इसमें नीले रंग के चावलों को सूखी मछली, फ्राइड चिकन के अलावा क्रैकर, अचार और सलाद के साथ बड़े चाव से खाया जाता है. इसे आम तौर से सोलोक लाडा के साथ खाये जाने का चलन है लेकिन कभी कभी इसे केरोपोक के साथ भी खाया जाता है. इस डिश के लिए चावलों को कुछ जगहों पर हल्दी के साथ भी पकाया जाता है, या फिर सफेद रंग का ही.

सोशल मीडिया पर है काफी चर्चा
ब्लू राइस को लेकर इंस्टाग्राम पर काफी चर्चा है. अस्ल में पिछले दिनों बॉलीवुड अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीस अपने ग्रुप के साथ ब्लू राइस की यह डिश एन्जॉय करती देखी गई थीं, उसके बाद से ही सोशल मीडिया पर इसे लेकर काफी चर्चा शुरू हुई. बताया जा रहा है कि मुंबई में कई रेस्टोरेंटों में ब्लू राइस मेनू में आ गया है. वहीं, इंस्टाग्राम पर इसकी रेसिपीज़ करने का सिलसिला भी चल पड़ा है.

नीले रंग का राज़ क्या है?
ब्लू राइस में नीले रंग का कारण प्राकृतिक है या आर्टिफिशियल रंग? इस सवाल का जवाब है, प्राकृतिक. ब्लू राइस में चावलों को अपराजिता के फूल की पत्तियों के साथ पकाया जाता है, जिससे नीला या बैंगनी रंग चावलों में समा जाता है. इस फूल को अंग्रेज़ी में बटरफ्लाय पी फलावर भी कहते हैं. मुंबई समेत कुछ और महानगरों में ब्लू राइस कुछ रेस्तरां अपने मीनू में शामिल कर चुके हैं.

जैसे कई विदेशी पकवानों का भारतीयकरण हो चुका है और हो जाता है, उसी तरह इस डिश को भी देश के हिसाब से पेश करने के प्रयोग शुरू हो चुके हैं. ToI की रिपोर्ट की मानें तो शेफ तरुण सिब्बल ब्लू राइस को येलो टोफू करी के साथ अपने रेस्तरां में सर्व कर रहे हैं. इसी तरह कुछ और जगहों पर ब्लू राइस को अलग-अलग करी या साइड डिश के साथ सर्व किया जा रहा है.

कैसे बनता है ब्लू राइस?
इस डिश के लिए जासमीन राइस को उपयुक्त बताया जाता है. यह चावल मूलतः थाईलैंड का है, जो काफी लंबा होता है. इस चावल को सामान्य चावल की तरह पकाना होता है और उसके बाद आपको इसमें अपराजिता के फूल मिलाने होते हैं. शेफ सिब्बल के मुताबिक अच्छा नीला रंग लाने के लिए कई फूल मिलाने होते हैं. सिब्बल यह भी कहते हैं कि इस ब्लू राइस का स्वाद एशियन करी के साथ ही मज़ा देता है.


बताया जाता है कि इस ब्लू राइस में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होते हैं और यह कैंसर से बचाव के साथ ही जलन से निजात के लिए भी उपयोगी है. इसमें त्वचा को निखाने वाले गुण भी हैं. यह भी कहा जा रहा है कि इसे खाने से मोटापा नहीं बढ़ता. ऐसे गुणों से भरपूर इस ब्लू राइस का क्रेज़ अचानक क्यों बढ़ रहा है?

अपराजिता का परिचय
अपराजिता, विष्णुकांता गोकर्णी आदि नामों से जानी जाने वाली श्वेत या नीले वर्ण के पुष्पों वाली कोमल वृक्ष आश्रिता बल्लरी उद्यानों एवं गृहों के शोभा वृद्धनार्थ लगाई जाती है। इस पर विशेषकर वर्षा ऋतु में फलियां और फूल लगते है।

अपराजिता के बाह्य-स्वरूप
अपराजिता सफेद और नीले रंग के पुष्पों के भेद से दो प्रकार की होती है। नीले फूल वाली अपराजिता भी दो प्रकार की होती है इकहरे फूल वाली तथा दोहरे फूल वाली। इसके पत्ते छोटे और प्रायः गोल होते हैं। इसकी पर्वसंधि से एक शाखा निकलती है, जिसके दोनों ओर 3-4 जोड़े पत्र युग्म में निकलते है और अंत में शिखाग्र पर एक ही पत्र होता है। इस पर मटर की फली के समान लम्बी और चपटी पलियां लगती हैं, जिनमें से उड़द के दोनों के समान कृष्ण वर्ण के चिकने बीज निकलते हैं।

अपराजिता के गुण-धर्म
दोनों प्रकार की अपराजिता, मेधा के लिये हितकारी, शीतल, कंठ को शुद्ध करने वाली, दृष्टि को उत्तम करने वाली, स्मृति व बुद्धि वर्धक, कुष्ठ, मूत्र दोष, आम, सूजन, व्रण तथा विष को दूर करने वाली है। यह विषध्न, कण्ठ्य, चक्षुष्य, मस्तिष्क रोग, कुष्ठ, अर्बुद, शोथ जलोदर, यकृत प्लीहा में उपयोगी है।

अपराजिता के नुकसान
गर्भपात में स्त्रियों को अपराजिता का प्रयोग अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए। नहीं तो गर्भपात में नुकसान दायक साबित हो सकता है। बिना डॉक्टर की सलाह से सेवन न करें।

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