बांस का फूल खिलने के बारे मे मान्यता है कि बांस मे फूल आना बिपत्ति और अकाल का सूचक है। बुजुर्ग इसे अशुभ मानते रहे हैं। लोगों का कहना है कि बांस के पौधे में फूल आने की घटना को अक्सर ही उसकी मौत की भविष्यवाणी से जोड़ेकर देखा जाता है। हालाकि,बांस मे फूल आने का कोई निश्चित समय नही होता इसलिए बांस मे फूल आना अभी भी रहस्य बना हुआ है।
कुछ का कहना है कि कि बांस का खिलना उसके नष्ट होने की निशानी है। उन्होने एक प्राचीन कहावत बताया कि "केला,बिच्छी,केकड़ा,बांस,अपने जन्मे चारो नाश"। यानि केला व बांस जिन्दगी मे एक ही बार फल-फूल देते हैं,और बिच्छी व केकड़ा जन्म देते ही मर जाते है। बताया कि जब बांस की उम्र पूरी हो जाती है तो उसमे फल फूल आ जाते है।
इस सम्बन्ध मे वैज्ञानिक तर्क है कि जब बांस मे फूल लगते हैं,तो वहां आसपास काफी ज्यादा संख्या मे चूहे उत्पन्न हो जाते हैं। तथा बांस का फल खाने के साथ उनकी प्रजनन क्षमता बढ़ जाती है,और इनकी संख्या मे कई गुना इजाफा हो जाता है। यही चूहे खेतों व घरों मे फसलों व अनाज को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। इन चूहों से तरह तरह की संक्रामक बीमारियां फैलती हैं और ऐसे हालात मे उन इलाकों मे अकाल व दुर्भिक्षता के दिन आ जाते हैं।
वर्ष 2009 में बांस के फूल खिलने से मिजोरम के लाखों लोगों को भूखमरी के करार पर खड़ा कर दिया है। राय में लगभग आधी शताब्दी के बाद खिले बांस के फूलों को खाकर चूहों की आबादी बढ़ गई है और इन्होंने खेतों में लहलहाती फसलों को चट कर गए। और राय में अकाल की स्थिति पैदा हो गई थी।
कहते है कि बांस पर फूल प्रत्येक 48 वर्ष के बाद खिलते हैं। वर्ष भी बांस के फूल खिले हैं। वास्तव में बांस के फूल खाकर चूहों की प्रजनन शक्ित बढ़ जाती है और उनमें प्रतिरोधक क्षमता में अपेक्षाकृत यादा हो जाती है। चूहों ने बांस के फूल खाने के बाद जनजाति लोगों के घरों की आेर रूख करना शुरू कर दिया था और खेतांे में तबाही मचा दी थी।
जब बांस मे फूल आना आरंभ होता है,तो उसकी पूरी की पूरी समष्टि मे एक साथ ही पुष्पन होता है।फिर चाहे उस बीज से उगाया गया बांस अमेरिका मे हो या बंगलादेश मे। ऐसा प्रतीत होता है जैसे प्रकृति ने इन बीजों मे एक साथ फूल आने का टाइम सेट कर दिया हो।
बांस में फूल आना वनस्पति जगत की एक पहेली है। फूल देनेवाला तना फल विकसित होने के बाद अक्सर मर जाता है लेकिन अन्य तने जिंदा रहते है। बांस की विभिन्न प्रजातियों का जीवनकाल तीन वर्ष से लेकर 120 वर्ष तक है और एक क्षेत्र की प्रत्येक प्रजाति के लगभग सभी पौधे फूल देते हैं और इस प्रकार काफी संख्या में बीज देकर खुद मर जाते हैं। ये बीच या तो शीघ्र अंकुरित होते हैं अथवा बरसात की शुरूआत में।
2 Comments
आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की २०००वीं बुलेटिन अपने ही अलग अंदाज़ में ... तो पढ़ना न भूलें ...
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, संगीत और तनाव मुक्ति - 2000वीं ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
nice
ReplyDeleteupload your talent @ vatspedia.com