उसके
दिल में एक परी थी।
उसने पूॅछा, क्या उस परी से इश्क करोगे......?
नहीं
! परी है ख्वाबों में, हकीकत मे दोस्त है, दोस्ती करूॅगा।।
कानांे
मंे शुरू से, उसकी पंजाबी गूॅजती थी।
उसने पूॅछा, पंजाबी से इश्क करोगे........?
नही
! पंजाबी मेरी दोस्त है मै दोस्ती करूॅगा।।
मुखड़ा
जब भी देखते ,नजर हमेंशा उसके काले ‘तिल‘ पर पड़ती।
उसने पूॅछा ,उसके काले तिल से इश्क करोगे........?
नहीं
! वह तिल मेरे दोस्त के चेहरे पर है मै दोस्ती करूॅगा।।
गरिमा
उस लड़की का नाम था।
उसने पूॅछा ,गरिमा से इश्क करोगे........?
नहीं
! दोस्ती का हॉथ बढ़ाते हुऐ उनके हॉथ की गरिमा मॉगूंगा।।
एक
दुनिया जो वह खुद बनाया था।
उसने पूॅछा ,जो करीब है उस दुनिया से इश्क करोगे......?
नहीं
! दुनिया मेरी दोस्त है मै उससे दोस्ती करूॅगा।।
वो
बात सुनाता था, जिसके नाम सारा गम लिख दिया।
उसने पूॅछा ,उसकी बातों से इश्क करोगे.....?
नहीं
! बातों से दोस्ती हुई थी, मै दोस्ती करूॅगा।।
उसके
सवाल और अपने जवाब को हॅसी के ‘‘बहते पानी‘‘ में छोड़ दिया।
उसने पूॅछा ,सवाल जवाब के बीच उस खिलखिलाती हंसी
से इश्क करोगे.........?
नहीं
! वह खिलखिलाती थी दोस्ती में, इसलिये दोस्ती करूॅगा।।
डूबते
सूरज की, लालिमा भरे आकाश की ओर, वह खिड़कियॉ खोलती थी।
उसने पूॅछा ,उस खुली खिड़की से इश्क करोगे........?
नहीं
! वह खिड़की मेरे दोस्त के घर की थी, मै उससे दोस्ती करूॅगा।।
बहते
पानी में, बहते सवाल को पकड़ना, दोनों को खूब आता था।
उसने पूॅछा ,दरिया दिल हो, उसके सवालों से इश्क
करोंगे.........?
नहीं
! दिल में इश्क होता है और इश्क में दर्द, पर दोस्ती में सुकून होता है दोस्ती करूॅगा।।
वह
सुकून की जिन्दगी जीता और दोस्ती करता था।
उसने पूॅछा ,उसकी दोस्ती से इश्क करोगे.........?
नहीं
! दोस्ती मेरे इश्क का ‘‘कोड‘‘ है, मै इश्क में दोस्ती ही करूॅगा।।
1 Comments
बहुत सुंदर रचना सीधे दिल से निकली अनुभूतियाँ. बधाई.
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