मां का सपना पूूरा कर 33 साल बाद घर लौटा बेटा


मां वह होती है जो अपने बच्चे के लिए दुनिया का हर दुख सहती है. मां अपने बच्चे के उज्जवल भविष्य के लिए ना जाने कितने सपने संजोती है. इन सपनों को पूरा करने के लिए चाहे उसे अपने जिगर के टुकड़े को घर से दूर ही क्यों ना भेजना पड़े. एक मां ने भी अपने बेटे के भविष्य के लिए ऐसे ही सपने देखे थे कि उसका बेटा भी एक दिन बहुत बड़ा आदमी बनेगा और खूब नाम कमाएगा. बेटे ने मां का यह सपना तो पूरा किया, लेकिन उसे पूरा करने में उसे 33 साल लग गए.

क्या था मां का सपना
33 साल बाद जब बेटा प्लेन खरीदकर अमेरिका से  घर लौटा तो उसकी आंखों में  जहां खुशी के आंसू थे तो कहीं ना कहीं मलाल भी था कि मां इस सपने को साकार होता देखने के लिए अब इस दुनिया में नहीं है.

डॉ. देवाशीष बनर्जी प्लेन को खुद चलाकर अमेरिका से रांची अपनी मां से मिलने पहुंचे थे. रांची के रहने वाले डॉ. देवाशीष बनर्जी के विमान ने जब 10.30 पर रांची के एयरपोर्ट पर लैंडिंग की तो यहां उनके भाई शिबू दा और कुछ दोस्त इंतजार कर रहे थे. सभी को देखा तो देवाशीष मां अनुरूपा बनर्जी को याद कर रोने लगे और नम आंखों से आसमान की ओर देखते हुए कहा - मां मैं अपने प्लेन से आ गया. मां को कैंसर था और अब मां इस दुनियां में नहीं थी.



डॉ. देवाशीष बनर्जी अमेरिका से फोन पर अपनी कैंसर पीड़ित मां से बात कर रहे थे. मां ने देवाशीष से पूछा था, तू मुझसे मिलने कब आ रहा है ? मां को दिलासा देने के लिए देवाशीष ने कहा था, मां तू चिंता मत कर, तुमसे मिलने तुम्हारा बेटा अमेरिका से रांची अपने विमान से आएगा. बेटे पर फख्र करेगी. बेटा प्लेन से घर तो पहुंचा लेकिन खुशियां बाटने के लिए मां का साथ नहीं था.

देवाशीष ने बताया कि मां इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मुझे देखकर आज वो जहां भी होंगी बहुत खुश होंगी. मां का ही आशीर्वाद है जो आज मैं मौत के मुंह से निकलकर उनसे किए वादे को पूरा कर पाया हूं. उन्होंने बताया कि दरअसल, अमेरिका से उड़ान भरने के बाद ग्रीनलैंड के बर्फीले पहाड़ों के बीच विमान फंस गया था। तापमान माइनस में होने के चलते विमान आउट ऑफ कंट्रोल हो गया था. एक बार तो लगा विमान क्रैश हो जाएगा.

देवाशीष ने बताया कि इस दौरान उन्होंने मां को याद किया. कुछ देर बाद विमान के एक हजार फीट नीचे आने के बाद देखा एकाएक बादल छट गए. बर्फीले पहाड़ों से भी विमान निकल चुका था. फिर कोई समस्या नहीं आई. देवाशीष ने बताया कि उन्होंने 31 मई को अमेरिका से रांची के लिए उड़ान भरी थी. अमेरिका से कनाडा, ग्रीनलैंड, स्कॉटलैंड, इंग्लैंड, फ्रांस, इटली, ग्रीस, जाॅर्डन, बहरीन, ओमान के बाद अहमदाबाद, पटना रुकते हुए अब रांची पहुंचे हैं.


 उन्होंने बताया कि पूरी यात्रा में लगभग 60 घंटे विमान हवा में उड़ा. विमान से रांची आने के लिए कई देशों से अनुमति लेनी पड़ी. इसके लिए वीजा और कई औपचारिकताएं पूरी करने में तीन साल लग गए. डॉ. देवाशीष अमेरिका के नॉर्थ कैरोलीना स्टेट यूनिवर्सिटी में मैनेजमेंट स्टडीज के एचओडी हैं. वे अमेरिका पीएचडी करने गए थे. इससे पहले रांची में यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे, कुछ दिनों तक बैंक में पीओ भी थे.

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1 Comments

  1. बहुत ही उम्दा ..... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति .... Thanks for sharing this!! :) :)

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