जब
आप दूरदर्शन पर समाचार देखते होगे तो आपको ये जरुर महसूस होता होगा की देश में शांति
और सदभाव है देश विकास भी कर रहा है सभी कुछ सामान्य है,
पर जैसे ही आप निजी न्यूज़ चैनल देखते है तो आपको पता लगता है की
पुरे देश में साप्रदायिक दंगे चल रहे है, हिन्दू
मुस्लमानो को मार काट रहे है, दलितों
पर भारी अत्याचार हो रहा है, करीब-करीब
सारे दलितों की हत्या हो चुकी है और सवर्ण वर्ग दलितों के घरों को लूट रहे है,
भारत में गृह युद्ध छिड़ रहा है.
इन
खबरों देख सुन कर जब आप बेचैन हो जाते है तो आपनो से हकीकत जानने के लिए फोन पर बाते
करते है या घर से बहार निकलते है तो आपको पता चलता है कि बाज़ार में तो सामान्य सी हलचल
है. तब आपको पता चलता है की सारी साम्प्रदायिकता और अशांति न्यूज़ चैनल के स्टूडियो
में और न्यूज़ एंकर के दिमाग में ही थी, जो
की ब्रीफ़केस में भरे हुए कागज़ की शक्ल में स्टूडियो में पहुंचाई जा रही थी.
निजी
मीडिया के एंकर आज करोडो में खेल रहे हैं और देश कीअखंडता को नुकसान पहुंचाने का काम
कर रहे हैं. मोदीजी निरमोही है तभी तो यह गिद्ध मंडरा रहे है. अब पूरी दुनिया उनके पिछे पडी है. लेकिन असली डाकू
तो घर मे ही बैठे है.
सबसे
बड़ी विडंबना ये है की ये टीवी चेनल वाले खुद ही आपस मे नं. वन नं. टू एवार्ड हकदार बनके खुदही शो कर रहे हैं. अर्थात
अपनी सच्चाई का पैमाना खुद ही तय कर डालते है. याने की मै ही होशीयार,
मै ही तेज हूं.. और 125
करोड़ जनता बेवकूफ है. जिसे इन मीडियाई गिद्धों का खामियाजा भुगतना
पड़ रहा है.
निजी
न्यूज चैनल वाले सच को झूठ और झूठ को सच बना कर दिखाते हैं और जनता को भड़काने का काम
करते हैं. मोदी ने एक-डेढ़ साल में ही NGOs नामक
एक कोण में तो बड़ा सा छेद कर ही दिया है. अगला नंबर मीडियाई गिद्धों का आना चाहिए और
शीघ्र आना चाहिए. हमारे यहाँ की कुछ राजनैतिक दल और मीडियाई गिद्ध कुछ दिनों में ISIS
के लिए भी सहानुभूति दिखाना आरंभ कर देंगे इसके पूरे आसार हैं.
0 Comments