इस पार भी नोबेल उस पार भी नोबेल पर दोनों ही पार है आर-पार की अशांति

यह अजब संयोग है कि भारतीय और पाकिस्तानी को संयुक्त रूप से शांति के नोबेल पुरस्कार की घोषणा ऐसे वक्त में हुई है जब दोनों देशों के बीच नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारी गोलीबारी और मोर्टार गोले दागे जा रहे हैं और ऐसे में यह पुरस्कार सीमा पर तनाव कम करने की जरूरत पर बल देता है।

इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के तौर पर अपनी नौकरी छोड़ने के बाद बच्चों को बंधुआ मजदूरी और शोषण से बचाने के लिए भारत में एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) चलाने वाले 60 वर्षीय कैलाश सत्यार्थी और लड़कियों की शिक्षा की वकालत करने पर दो साल पहले तालिबान के घातक हमले में बाल-बाल बची पाकिस्तान की 17 वर्षीय मलाला यूसुफजई के नामों की घोषणा नोबेल शांति पुरस्कार समिति ने इस प्रतिष्ठित वैश्विक पुरस्कार के लिए की। दोनों को यह पुरस्कार संकटग्रस्त उपमहाद्वीप में बाल अधिकारों को प्रोत्साहित करने के उनके कार्य के लिए प्रदान किया जाएगा। साथ ही ज्यूरी ने यह घोषणा की कि 11 लाख डॉलर का यह पुरस्कार दिसंबर में प्रदान किया जाएगा।

एक विडम्बना भी देखिये की दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी को उनके अपने ही देश में कभी भी एक भी पुरस्कार से नवाजा नहीं गया, जबकि इसके एवज में वे अंतररास्ट्रीय स्तर पर अनेको अवार्ड पा चुके थे । फिर भी भारत सरकार उनकी ख्याति व कर्मों को नजरंदाज करती आई इसे विडम्बना ना कहे तो और क्या कहे।

मलाला ने कैलाश सत्यार्थी के साथ भारत-पाक संबंधों में सुधार लाने के बारे में भी चर्चा की। वो कहती हैं कि नोबल शांति पुरस्कार से बच्चों की शिक्षा के लिए काम करने की प्रेरणा और हौसला मिला है और वे चाहती हैं कि दुनिया का एक-एक बच्चा स्कूल जाए। वही एनजीओ 'बचपन बचाओ आंदोलन' चलाने वाले सत्यार्थी ने इस घोषणा पर खुशी जताते हुए कहा कि यह पुरस्कार उन्हें भारत में बाल दासता को खत्म करने के लिए और प्रयास करने के लिए प्रेरित करेगा। प्रधनमंत्री  मोदी ने

जहा बाल मजदूरी मानवता पर कलंक बन कर उभरी हुई है, वही  हमेशा से हमारे देश का ये दुर्भाग्य रहा है की अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिलने के बाद ही देश में गंभीरता से लिया जाता है। लेकिन अब सरकार से यही  उम्मीद की जाएगी की इस सम्मान के बाद सरकार बाल दासता से मुक्ति के लिए सार्थक कदम उठाएगी।

भारत के सत्यार्थी अपने संगठन [ 'बचपन बचाओ आंदोलन' ] के माध्यम से अभी तक अस्सी हजार से अधिक बच्चों को बंधुआ मजदूरी और शोषण से बचाने का कार्य कर चुके है। कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि वह नोबेल शांति अवॉर्ड मिलने से बहुत खुश हैं। यह पुरस्कार बच्चों के अधिकारों के लिए हमारे संघर्ष की जीत है। सत्यार्थी ने कहा कि वह नोबेल कमिटी के शुक्रगुजार हैं कि उसने आज के आधुनिक युग में भी दुर्दशा के शिकार लाखों बच्चों की दर्द को पहचाना है। सत्यार्थी ने कहा कि वह मलाला यूसुफजई को व्यक्तिगत तौर पर जानते हैं। वह मलाला को अपने साथ काम करने के लिए आमंत्रित करेंगे।

कैलाश सत्यार्थी 'बचपन बचाओ आंदोलन' के जरिए बाल अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष करते रहे हैं। वहीं मलाला यूसुफजई भी पाकिस्तान में बच्चों की शिक्षा से जुड़ी हैं। 17 वर्षीय मलाला तब सुर्खियों में आईं जब तालिबान आतंकवादियों ने लड़कियों की शिक्षा की वकालत करने को लेकर उन्हें गोली मार दी थी। नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा करने वाली कमिटी ने इस पुरस्कार का ऐलान करते हुए सत्यार्थी की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने महात्मा गांधी की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए बच्चों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया है। गोली लगने के बाद से ही मलाला ने हमेशा चुप रहने के बजाय अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई  

17 साल की मलाला सबसे कम उम्र में यह अवॉर्ड पाने वाली शख्सियत बनी हैं। मलाला ने दोनों देशों के बीच शांति कायम करने की इच्छा जताते हुए दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों से एक मंच पर आने की गुजारिश की है। मलाला का कहना है कि उनकी इच्छा है कि जब उन्हें पुरस्कार दिया जाए तो वहां पर दोनों प्रधानमंत्री भी मौजूद हों। मलाला ने पाकिस्तान के कबायली इलाकों में ल़डकियों की शिक्षा की मुहिम चलाई थी.

मलाला ने गत वर्ष संयुक्त राष्ट्र में संबोधन दिया, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात की तथा 'टाइम' पत्रिका ने उन्हें 100 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में एक नामित किया। गत वर्ष मलाला ने अपना संस्मरण 'आई एम मलाला' लिखा। समिति ने एक बयान में कहा, 'युवावस्था में ही मलाला यूसुफजई ने लड़कियों की शिक्षा के अधिकार लिए कई वर्षों तक संघर्ष किया तथा मिसाल पेश की कि बच्चे और युवा लोग अपनी स्थिति में सुधार करने के लिए योगदान दे सकते हैं।' इस वर्ष रिकॉर्ड 278 नामांकित होने वाले लोगों में पोप फ्रांसिस और कांगो के स्त्रीरोग विशेषज्ञ डेनिस मुकवेगी भी शामिल थे। यद्यपि इस पूरी सूची को गुप्त रखा गया था।

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5 Comments

  1. मेहनत रंग लाई ...अब सयुंक्त रूप से शांति सदा बनी रही यही सदिच्छा है ...
    बहुत बढ़िया सामयिक प्रस्तुति
    सबको बधाई!

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  2. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति ।मेरे पोस्ट पर आप आमंश्रित हैं।!

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  3. इसी तरह कुछ और लोग शांति दूत बन कर आगे आते रहे,...यही मगल कामना करती हूं...।बहुत बहुत बधाई...कैलाश जी और प्यारी बिटिया मलाला को....

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